
कोरबा: बुधवार गुरुवार की रात से ही शुरू हुई बारिश की झड़ी का असर हसदेव नदी पर भी दिखा. गुरुवार को दर्री बांध के गेट खोलने पड़े. सुबह के वक्त एक गेट खोलकर बांध के बढ़ते जल स्तर को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया. इसके बाद भी जब स्थिति नियंत्रण से बाहर होती दिखी, तब दूसरा गेट भी खोलना पड़ा.
कोरबा के पश्चिम क्षेत्र में हुई झमाझम बारिश की वजह से हसदेव की सहायक तान नदी के पानी का स्तर भी बढ़ गया है. जिससे हसदेव नदी में भी अचानक पानी बढ़ गया. दर्री बांध में जल स्तर निर्धारित क्षमता को पार करने लगा था. गेट खोलने से सर्वेश्वर एनीकट का पानी भी लबालब होकर अब ओवरफ्लो हो रहा है. ऊपरी क्षेत्रों में लगातार वर्षा के चलते तान नदी का पानी हसदेव में मिलने से प्रवाह बढ़ गया है.
जल संसाधन विभाग के कंट्रोल रूम के अनुसार दरीं बांध में संयंत्रों के लिए दाईं और बाईं तट नहर से पहले ही पानी छोड़ा जा रहा था. बरसाती पानी का भराव बांध में क्षमता से अधिक होने पर गुरुवार की सुबह सुबह 10.15 बजे 7 नंबर गेट को दो फीट खोल दिया गया.
इसके बाद इस बारिश सीजन में गुरुवार को पहली बार 7 नंबर गेट को ही सुबह 11 बजे 6 फीट तक उठाना पड़ा. इसके बाद भी बढ़ता जल स्तर देख दोपहर 12.45 बजे गेट को दस फीट खोलना पड़ा. इसके बाद स्थिति पुनः नियंत्रण से बाहर निकलते देख कर्मियों ने दोपहर 1.30 बजे 12 नंबर गेट को भी 6 फीट तक खोल दिया. इसके दोपहर 2.30 बजे 12 नंबर गेट को 8 फीट किया गया. जलस्तर घटने पर शाम 4 बजे 12 नंबर गेट को चार फीट कर दिया गया. उसके बाद से शाम 6 बजे तक की स्थिति में 12 नंबर गेट 4 फीट और 7 नंबर गेट फीट खुला रखा गया था.
दर्री बराज के गेट खुला करने से हसदेव नदी में अथाह जल राशि प्रवाहित होने का नजारा देखने लोग नदी किनारे पहुंच रहे थे. गेट खोलने के बाद पानी जब नदी में प्रभावित होता है, तब नजारा काफी खूबसूरत हो जाता है. इस वक्त नदी अपने विकराल रूप में होती है. तेजी से बहते पानी को देखने के लिए आसपास के लोग जुटने लगते हैं.
नदी के तट पर दिनों दिन बसाहट बढ़ती जा रही है. ऐसे में बाढ़ आने की दशा में प्रभावित क्षेत्रों का अनियंत्रित विस्तार भी होता जा रहा है. सीतीमनी के आसपास रेत का बेतहाशा और अव्यवस्थित अवैध उत्खनन होने से तट से मिट्टी का कटाव हो चुका है. ऐसे बस्ती में जल भराव क्षेत्र का लगातार विस्तार हो रहा है. बस्ती में पानी का भराव होने पर ही प्रशासन ठहरने के लिए जगह चिन्हित करता है. पहले से वैकल्पिक व्यवस्था नहीं किए जाने से लोगों को परेशानी से जूझना पड़ता है.