अकलतरा के मीसाबंदी राधेलाल शर्मा का देहांत, 26 जून को मुख्यमंत्री के हाथों हुआ था सम्मान , राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार

जांजगीर-चांपा। अकलतरा के मीसाबंदी राधेश्याम शर्मा का दुखद निधन 28-29 जून की मध्यरात्रि को अकलतरा में उनके निवास में हो गया है । उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ अकलतरा मुक्तिधाम में किया जाएगा । उनके निधन पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गहरा शोक व्यक्त किया है, साथ ही अकलतरा के सभी लोग उनके दुखद निधन से दुखीं है । विदित हो कि 26 जून को आपातकाल की 50 वी बरसी पर मुख्यमंत्री निवास में उनका सम्मान किया गया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उन्हें स्वयं उनके पास आकर सम्मानित किया और उनके पैर छुए। मीसाबंदी होने के नाते उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
विदित हो कि 26 जून को आपातकाल की 50 वें साल में सभी मीसाबंदियों और उनके परिवार का सम्मान किया गया। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के हर जिले में दो दिन पहले मीसाबंदियों और उनके परिवार को सम्मानित किया गया है । इस अवसर पर अकलतरा के वरिष्ठ पत्रकार रह चुके और राष्ट्रीय सेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता राधेश्याम शर्मा को भी मुख्यमंत्री निवास में मीसाबंदियों के साथ सम्मानित किया गया था। सम्मान मिलने पर उन्होंने आपातकाल के दिनों को याद करते हुए कहा कि जब हम लोग जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर आपातकाल का विरोध कर रहे थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध मे नारे लगा रहे थे – इंदिरा तेरी तानाशाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी, कितना दम है दमन में तेरे, देख लिया है का नारा, हम लोग लगाया करते थे, फिर तय किया गया है, अब यह विरोध बिलासपुर में नेहरू चौक से सदर बाजार तक नारा लगाते हुए किया जाएगा और गिरफ्तारी दी जाएगी। तब अकलतरा के स्वर्गीय भीमसेन कसेर और राधेश्याम शर्मा और बिलासपुर के अन्य कार्यकर्ताओ ने नेहरू चौक से सदर बाजार तक तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के विरोध मे नारा लगाते हुए आये और तब तक सदर बाजार पुलिस पहुंच चुकी थी और सभी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के समय भी उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के विरोध में नारे लगाते रहे और उन्हें बिलासपुर जेल में डाल दिया गया और वे 18 माह तक जेल में रहे जहां उन्हें और उनके साथियों को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाता था और माफीनामा लिखने कहा जाता था जिसे राधेश्याम शर्मा और उनके साथियों ने इंकार कर दिया और आपातकाल की समाप्ति तक वे जेल में रहे । आपातकाल की समाप्ति के तीन माह बाद भाजपा की सरकार बनने पर उन्हें जेल से छोड़ा गया। उनकी उम्र लगभग 75 साल थी। वे उम्र संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे।