रायपुर

सरकार ने खुले बाजार में बेचा 10 लाख टन धान: साढ़े 13 सौ में मोटा और 14 सौ में बिका पतला सरकारी धान

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प्रदेश सरकार ने करीब 10 लाख टन धान खुले बाजार में नीलामी के माध्यम से बेच दिया है। इसके साथ ही पिछले खरीफ सीजन में किसानों से खरीदे गए करीब 92 लाख टन धान का निराकरण हो गया है। अंतिम लाट के रूप में 13 हजार 394 टन मोटा और 10 हजार 402 टन पतला धान बेचा गया। इसके लिए क्रमश: 1350 और 1400 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिला है। सरकार ने यह धान किसानों से करीब 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीदा था। सरप्लस धान बेचने के लिए सरकार ने खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की अध्यक्षता मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया था। शनिवार को इस उपसमिति की बैठक हुई। इसमें धान की नीलामी के लिए दरों का अनुमोदन कर दिया गया है। उप समिति की बैठक में संग्रहण केंद्रों में एकत्र धान का तेजी से कस्टम मिलिंग कराने अधिकारियों को निर्देशित किया गया। इसके अलावा केंद्रीय पूल और नान में भी जल्द चावल जमा कराने पर जोर दिया गया। बैठक में आगामी खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में राज्य सरकार द्वारा किसानों से समर्थन मूल्य में धान खरीदने पर भी विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में अल्पवर्षा अथवा खंडवर्षा की स्थिति को ध्यान में रखते हुए धान खरीदी लक्ष्य के मुताबिक करने व बारदानें की उपलब्धता पर भी चर्चा की गई। इसके अलावा धान उपार्जन केंद्रों के सशक्तिकरण के लिए भी विचार-विमर्श किया गया। उपसमिति में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे, परिवहन मंत्री मोहम्मद अकबर, स्कूल शिक्षा मंत्री डा. प्रेमसाय सिंह टेकाम और उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल शामिल हैं। बैठक में भंडार गृह निगम के अध्यक्ष अरुण वोरा, अपेक्स बैंक के चेयरमेन बैजनाथ चंद्राकर, कृषि विभाग की सचिव डा. एम. गीता, खाद्य विभाग के सचिव टोपेश्वर वर्मा, सहकारिता विभाग के सचिव हिमशिखर गुप्ता, विशेष सचिव मनोज सोनी, मार्कफेड की प्रबंध संचालक किरण कौशल, नान के प्रबंध संचालक निरंजन दास और अपेक्स बैंक के केएन टांडे, वेयर हाऊस के एमडी अभिनव अग्रवाल सहित अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। केंद्र सरकार ने पिछले सीजन में करीब राज्य से 60 लाख टन चावल लेने की सहमति दी थी, लेकिन राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिये धान पर प्रोत्साहन राशि देने का आरोप लगाते हुए बाद में चावल लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार की काफी कोशिशों के बाद केवल 45 लाख टन चावल लेने को केंद्र सरकार राजी हुई। इस वजह से धान सरप्लस हो गया था।

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