कांकेर नक्सली मुठभेड़ पर कांग्रेस ने किया जांच समिति का गठन
कांकेर
रविवार को कांकेर के कोयलीबेड़ा इलाके में हुई नक्सली मुठभेड़ सवालों के घेरे में आ गई है. मृतक नक्सलियों के परिजनों और ग्रामीणों ने पुलिस पर फर्जी मुठभेड़ का आरोप लगाया है. आरोप प्रत्यारोप के बीच अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने मुठभेड़ की जांच के लिए 7 सदस्यीय टीम बनाई है. इस टीम के सभी सदस्यों को जल्द से जल्द जांच कर रिपोर्ट देने कहा गया है.
25 फरवरी को कोयलीबेड़ा के भोमरा और हुरतराई के जंगल में पुलिस नक्सली मुठभेड़ की खबर सामने आई थी. पुलिस का कहना है कि ”नक्सली की कंपनी नंबर 5 से मुठभेड़ हुई.” पुलिस ने मुठभेड़ में 3 माओवादियों को मार गिराने का दावा किया है, जिनके पास से 3 भरमार भी बरामद किया गया. घटना के बाद से मृतक नक्सलियों के परिजनों और ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया है. ग्रामीणों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए घटना को गलत बताया है. ग्रामीणों का कहना है कि ”मारे गए तीनों नक्सली नहीं हैं. वह सभी आम ग्रामीण हैं, जो जंगल तेंदूपत्ता बांधने के लिए रस्सी लेने गए थे.”
कांग्रेस ने किया जांच समिति का गठन: मामला तूल पकड़ता देख अब कांग्रेस पार्टी भी सामने आ गई है. कांग्रेस पार्टी ने मुठभेड़ की जांच के लिए 7 लोगों की टीम तैयार की है, जो मुठभेड़ से जुड़ी रिपोर्ट तैयार करेगी. पार्टी ने 28 फरवरी की शाम आदेश जारी करते हुए कहा है कि तुरंत प्रभावित गांवों का दौरा कर पीड़ित परिजनों सहित स्थानीय ग्रामीणों से मिलकर जानकारी लें और प्रदेश कांग्रेस कमेटी को रिपोर्ट दें.
शिशुपाल शोरी के नेतृत्व में बनाई गई है टीम: छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दीपक बैज ने पूर्व विधायक शिशुपाल शोरी के नेतृत्व में सात सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है. इसमें शिशुपाल शोरी संयोजक, पूर्व विधायक संतराम नेताम, पूर्व विधायक शंकर ध्रुवा, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष बीरेश ठाकुर, प्रदेश महामंत्री नरेश ठाकुर, पूर्व विधानसभा प्रत्याशी रूपसिंह पोटाई, कांकेर कांग्रेस जिला अध्यक्ष सुभद्रा सलाम को सदस्य बनाया गया है.
25 फरवरी रविवार को सुबह 8 बजे मुठभेड़ हुई. मुठभेड़ के बाद शाम 4:30 बजे मारे गए लोगों के शव लेकर पुलिस मुख्यालय पहुंची. घटना के दूसरे दिन सोमवार को परिजन और ग्रामीण कोयलीबेड़ा थाना पहुंचे और ज्ञापन सौंपा. उन्होंने पुलिस पर ग्रामीणों को मारने का आरोप लगाया. सोमवार की शाम 7 बजे कथित नक्सलियों के परिजन शव लेने पहुंचे थे. बुधवार को कलेक्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दो प्रत्यक्षदर्शी पहुंचे. उन्होंने कहा कि घटना के वक्त वह उस जंगल में मौजूद थे. गोली की आवाज सुनकर वह वहां से भाग गए. उन्होंने मारे गए लोगों और खुद को नक्सली नहीं होना बताया. उन्होंने प्रशासन और पुलिस को ज्ञापन सौंप कर जांच की बात कही.