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जांजगीर चांपा

जांजगीर: 56 वर्षीय विधवा ने मांगी इच्छा मृत्यु…प्रधानमंत्री आवास योजना बना कारण

जांजगीर-नैला

प्रधानमंत्री आवास के नाम पर नगर पालिका जांजगीर-नैला हितग्राहियों को इस कदर परेशान कर रहें है कि अब हितग्राही पालिका के अधिकारियों के मुख देखने के बजाय मौत को गले लगाना सहज मान रहे है। नगर के वार्ड क्रमांक 11 की श्रीमती पार्वती श्रीवास स्व. श्री पूरूषोत्तम श्रीवास ने आज अपर कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें पीडि़ता ने लिखा है कि जांजगीर-नैला नगरपालिका परिषद् क्षेत्र अंतर्गत सन् 2020 में प्रधानमंत्री आवास कार्य स्वीकृत हुआ है.जिसके पश्चात् आवेदिका नगरपालिका से अनुमति लेकर पुराने मकान को तोड़ कर प्रधानमंत्री आवास का निर्माण कर रही है जो कि वर्तमान में छत स्तर तक निर्माण होकर रूका हुआ है। लगातार बाकी किस्तों का मांग करते-करते नगर पालिका कार्यालय का चक्कर लगाकर थक गई है लेकिन अभी तक बाकी किस्त नहीं मिल पाया हैं। लगभग चार वर्षो से चक्कर काटकर थक चुकी श्रीमती पार्वती ने अंतत: प्रशासन के माध्यम से इच्छा मृत्यु की मांग की है।

नगर पालिका से रोते हुए घर लौटती हूं-पार्वती
इस संबंध में पार्वती का कहना है कि पूर्व में जब आवास योजना निकली थी तब मेरे पति ने आवेदन किया था उसके निधन के बाद आवेदन की पूरी कार्रवाई मेरे द्वारा पूरी की गई थी, प्रथम किस्त के बाद द्वितीय किश्त के लिए मुझे कई बार बेइज्जत कर नगरपालिका से निकाल दिया एवं मेरे निर्माण संबंधी दस्तावेजों को जला देने की बात मुझसे कही गई एवं द्वितिय किश्त जारी करने के बदले मुझसे नकद रकम की मांग की गई है।
किराये का मकान और कर्ज में डूबी हूं रास्ता नही दिख रहा
पार्वती का कहना है कि वर्तमान में वह किराये की मकान में अब तक मेरे द्वारा अपने परिजनों से व्यक्तिगत कर्ज, स्वयं एवं बहु के गहनों को गिरवी रखकर ब्याज पर रकम लेकर उक्त निर्माण कार्य करा गया है तथा वह खुद किराये के मकान में रहकर गुजर बसर कर रही है। नगरपालिका परिषद् द्वारा मुझे अब तक 16.10.2022 को 19 माह पूर्व 56500.00 (छप्पन हजार पांच सौ रू.) मात्र प्रथम किस्त का भुगतान किया गया है। उसके बाद से वह दूसरे किश्त के लिए लगातार चक्कर काट रही है।
दूसरो के घरों के घरो में करती है बर्तन धोने का काम
पार्वती का कहना है कि मैं एक विधवा महिला हूँ, दूसरों के घरों का साफ-सफाई एवं बर्तन धोने का काम कर अपना एवं परिवार का जीवन यापन करती हूं। कर्जदार मेरे घर आकर रोज मुझे गाली-गलौच करते हैं एवं बीच रास्ते में रोककर मुझे खरी-खोटी सुनाते रहते हैं इन सब से मैं क्षुब्ध होकर मेरे मन में कई बार आत्महत्या कर लेने जैसे विचार आते रहे हैं।

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