रायपुर। छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने बुधवार को कैबिनेट की बैठक ली। जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। कैबिनेट की बैठक में कस्टम मिलिंग और राइस मिलरों के मुद्दें पर लिए गए निर्णय को लेकर राइस मिलर्स का बयान सामने आया है। इसको लेकर एसोसिएशन के अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने कहा कि, आज छत्तीसगढ़ शासन की हुई कैबिनेट में हमारे वर्ष 2022-23 के भुगतान पर सहमति नहीं बनी। साथ ही एसएलसी से परिवहन व्यय भी फाइनल नहीं हो पाया। यह बड़ी वादा खिलाफी की गई है। पूरे प्रदेश के मिलर्स जो सरकार से बड़ी उम्मीद लगाए बैठे थे। वह सभी सकते में हैं, इसके साथ ही निराश और आक्रोशित भी हैं।
उन्होंने आगे कहा कि, सरकार के कैबिनेट के निर्णय के बाद अब पुनः प्रदेश एसोसिएशन अपने मिलर्स के साथ कस्टम मिलिंग कार्य करने के निर्णय पर पुनर्विचार करेगा। सभी मिलर्स की आज के कैबिनेट पर निगाह थी और सभी के मन में था कि, सरकार अपनी बातों को कैबिनेट में पास कराकर मिलर्स का काम सुचारू करेगी। लेकिन इसका उलट कैबिनेट ने निर्णय कर मिलर्स की आर्थिक रूप से कमजोर हो चुकी कमर को तोड़कर रख दिया है। मिलर्स को मिल संबंधी खर्चों के लिए भुगतान करने की और अपना काम करने पैसों की जरूरतें थी। इसके लिए पिछले दिनों पूरे प्रदेश के मिलरों ने अपनी कुछ जायज़ मांगों के पूरा होने तक कस्टम मिलिंग कार्य से दूरी बना ली थी। अध्यक्ष योगेश अग्रवाल ने आगे कहा कि, सरकार ने मिलर्स से चर्चा कर बड़ा आश्वासन दिया। लेकिन अब पूरे प्रदेश के मिलर्स सरकार के वर्तमान निर्णय के खिलाफ हैं कि, मिलर्स का वर्ष 2022-23 के बजाय वर्ष 2023-24 का भुगतान किया जाए।
पुराना बिल भुगतान करने की मांग
उन्होंने आगे कहा कि, वर्ष 2023-24 के ज्यादातर मिलर्स का काम ही पूरा नहीं हुआ तो उन्हें कैसे भुगतान मिलेगा। साथ ही जिनका काम पूरा हो चुका है वह भी बिल नहीं बना पा रहा है। उनके बिलों में अनेक तरह की पेनाल्टी लगाकर बिलों को रोक दिया गया है। मिलरों की मांग है कि, हमारा पहले पुराने वर्षों का भुगतान मिलना चाहिए। यह व्यवहारिक विषय है कि, कोई भी भुगतान पहले पिछला होता है। सरकार के आज के निर्णय के बाद कस्टम मिलिंग कार्य फिर से प्रभावित होने की आशंकाओं जतायी जा रही है। क्योंकि, मिलर पैसे के अभाव में ना बैंक गारंटी बना सकता और ना ही कस्टम मिलिंग कार्य कर सकता है। बहुत ही विचित्र स्थिति है कि, पिछले कस्टम मिलिंग प्रोत्साहन कम होने की सहमति इसलिए बनी थी कि मिलर्स को पुराना भुगतान तो मिलेगा।