तलाक के बाद भी पति से अलग नहीं हो सकती पत्नी, रूढ़िवादी यहूदियों में अजीब नियम
नई दिल्ली
रिफका मेयेर की उम्र उस वक्त 32 साल थी जब उन्होंने रीति-रिवाजों के साथ एक शादीशुदा जिंदगी में प्रवेश किया. हालांकि, शादी के ढाई साल गुजर जाने के बाद उसे रूढ़िवादी यहूदी पति के चंगुल में फंसे रहने का एहसास हुआ. एक शख्स के साथ वो शादी के ऐसे बंधन में कैद हो गई थी जो कई साल तक उसे तलाक तक देने के लिए राजी नहीं था. बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में रिफका ने कहा, ‘इस स्थिति में एक इंसान बहुत निराश और अकेला महसूस करता है. ऐसा लगता है जैसे आप जोर-जोर से चिल्ला रहे हैं, लेकिन आपकी आवाज सुनने वाला वहां कोई नहीं है.’क्रॉस-पार्टी पार्लियामेंट ग्रुप के मेंबर जोनाथन मेंडेलसोन ने बीबीसी को बताया कि एक धार्मिक तलाक लेने के लिए महिला को करीब 10 साल लगे. उन्होंने बताया कि पूरे ब्रिटेन में 100 से भी ज्यादा महिलाएं रूढ़िवादी यहूदियों के बीच धार्मिक विवाह के बंधन में फंसी हुई हैं. यहूदी समुदाय में मैं ऐसे दसियों मामले देख चुका हैं.
रूढ़िवादी यहूदी कानून के तहत, तलाक लेने वाली पत्नी को अपने पति से एक डॉक्यूमेंट लेना पड़ता है जिसे यहूदियों में ‘गेट’ कहा जाता है. इसके बिना, कानूनी रूप से अगर किसी महिला का तलाक हो भी जाए तो भी वो उस शख्स की विवाहिता रहती है. इस तरह धार्मिक विवाह के जंजाल में फंसने वाली महिलाओं को ‘अगुनोट’ या ‘चेन वाइफ’ कहा जाता है.रिफका ने अपनी आपबीती में बताया कि वो चाहकर भी किसी दूसरे पार्टनर का हाथ नहीं थाम सकती है. उन्होंने कहा, ‘आप इसमें फंस गए हो. आप ना तो किसी शख्स से मिल सकते हो. ना किसी को डेट कर सकते हो और ना ही एक कोने से निकलकर आगे बढ़ सकते हो. और मैं यहां से निकलकर कहीं भी नहीं जा सकती हूं.’
उन्होंने कहा, ‘आप मदद के लिए ना तो किसी से बात कर सकते हो और ना ही आपको सपोर्ट मिलता है. आप बहुत ज्यादा बेचैन रहते हैं और काफी अकेलापन महसूस करते हैं. यह बेहद सूना सफर है जहां से आपको अकेले ही गुजरना पड़ता है.’भाग्यवश रिफका इस बंधन से मुक्त हो चुकी हैं और उन्होंने पिछले साल ही अपना ‘गेट’ हासिल किया है. वह लंदन में रहती हैं और GETT नाम की एक संस्था चलाती हैं जो महिलाओं को ऐसी परिस्थिति से निकालने में मदद करती है. पति द्वारा गेट ना मिलने पर महिलाओं के दोबारा शादी करने पर पाबंदी होती है. इसे गैर-व्यावहारिक समझा जाता है. उसे किसी पराय मर्द के साथ बच्चे पैदा करने की भी अनुमति नहीं होती है. यदि कोई महिला ऐसा करती है तो उसके गर्भ से पैदा हुए बच्चे को ‘मेमजर’ या एक अनोखी संतान के रूप में देखा जाता है. अगर ‘गेट’ हासिल करने के लिए किसी व्यक्ति पर दबाव बनाया जाता है तो यहूदी न्यायालय जिसे ‘बेथ दीन’ कहा जाता है, ऐसे तलाक को अमान्य करार दे देता है.
घरेलू हिंसा अधिनियम के अंतर्गत एक कानून में संशोधन अब ये कहता है कि किसी महिला के साथ जबरदस्ती या उसे नियंत्रित करके रखना अपराध है. ऐसा करने वाले शख्स पर कार्रवाई हो सकती है और आरोप सिद्ध होने पर उसे जेल भी भेजा जा सकता है. ऐसी उम्मीद है कि ये कानून महिलाओं को अपने पार्टनर से धार्मिक तलाक ना मिलने पर अधिकारियों से उनकी शिकायत करने की शक्ति देगा. हालांकि रूढ़िवादी यहूदियों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक फेडरेशन का कहना है कि यहूदी कानून के तहत, शारीरिक या आर्थिक प्रताड़ना या फिर जेल की धमकी से दिया गया कोई भी ‘गेट’ पूरी तरह से अमान्य है. फेडरेशन ने एक पत्र में कहा, ‘कानूनी तौर पर तलाक लेने के बावजूद कोई कपल तब तक एक-दूसरे से विवाहित रहेगा, जब तक गेट ना मिल जाए.’ लंदन में रूढ़िवादी यहूदी समुदाय के मेंबर एलि स्पित्जर का कहना है कि कुछ यहूदी धर्मगुरुओं का ऐसा मानना है कि कानून से मदद मांगने वाली महिलाएं एक ऐसी प्रक्रिया शुरू करेंगी जिसे फिर बदला नहीं जा सकेगा. पति अपनी मर्जी से पत्नी को तलाक देने के स्थिति में नहीं होंगे. इस संशोधन ने यहूदियों के धार्मिक तलाक को कमजोर कर दिया है जो कि स्वतंत्र इच्छा से दिया जाता है.