रायपुर

अमित जोगी ने दी झीरम न्यायिक जाँच रिपोर्ट पर संयम बरतने की सलाह: राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने का विधिक कारण भी बताया

रायपुर

झीरम न्यायिक जाँच रिपोर्ट को राज्यपाल को सौंपे जाने के मसले पर कांग्रेस बुरी तरह आक्रामक है और इसे तथ्यों को छुपाना बता रही है। तो वहीं भाजपा ने सीधे सवाल उठा दिया है कि बौखलाहट क्यों है, रिपोर्ट में ऐसा क्या है कि कांग्रेसियों की राजनीति समाप्त हो जाएगी। इन तीखे सियासी वारों के बीच जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अमित जोगी ने इस मसले में गहरे संकेत देते हुए ट्वीटर और फ़ेसबुक पर पोस्ट किया है। अधिवक्ता अमित जोगी ने जो लिखा है उसमें राज्यपाल को रिपोर्ट सौंपने के विधिक कारणों का ज़िक्र है और इसे लेकर सर्वोच्च अदालत के पारित आदेश का भी हवाला दिया गया है। हां ये बात अलग है कि जो संकेत अमित जोगी ने दिए हैं उसकी चर्चा उसी वक्त से थी जबकि रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी गई थी,पर संकेतों में ही सही उसे लिख कर सियासत में लहरें पैदा कर दी गई हैं।

अमित जोगी ने लिखा है- “झीरम रिपोर्ट आँध्र प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश श्री प्रशांत मिश्रा ने तैयार की है। छत्तीसगढ़ के इतिहास के अब तक के सबसे वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी होने के नाते उन्होंने संभवतः माननीय सर्वोच्च न्यायालय की 9-सदस्यीय संवैधानिक पीठ के स्टेट ओफ़ कर्नाटक विरुद्ध यूनियन ओफ़ इंडिया और अन्य (1977 SCC (4) 608) में पारित बहुमत निर्णय कि अगर किसी न्यायिक जाँच रिपोर्ट में राज्य सरकार के किसी मंत्री का उल्लेख आता है तो अनुच्छेद 164 में परिभाषित सामूहिक ज़िम्मेदारी के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उसे मंत्रीमंडल के स्थान पर राष्ट्रपति अथवा राज्यपाल को सौंपना न्यायसंगत होगा, इसी का पालन करते हुए, अपनी रिपोर्ट महामहिम राज्यपाल को विधिवत सौंपी है।” अधिवक्ता अमित जोगी ने आगे लिखा है “ऐसे में जब तक महामहिम राज्यपाल रिपोर्ट का परीक्षण कर कोई निर्णय नहीं पर नहीं पहुँचतीं हैं, तब तक उस पर किसी भी प्रकार की राजनीति करना माननीय न्यायालय की अवमानना होगी। संभवतः क़ानून की इस अज्ञानता के कारण झीरम रिपोर्ट का राजनीतिकरण दुर्भाग्यपूर्ण है। मेरा सभी से विनम्रतापूर्वक आग्रह है विषय की संवेदनशीलता और संवैधानिकता और शहीदों के सम्मान को ध्यान में रखते हुए सभी को संयम और समझदारी बरतनी चाहिए।

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