हैवी मशीनों से रातभर चली ड्रिल, 41 जिंदगियों के और करीब पहुंचीं रेस्क्यू टीमें, अगले 40 घंटे अहम
नई दिल्ली
सिलक्यारा छोर से मजदूर अंदर गए थे. इस छोर से 2340 मीटर की सुरंग बन चुकी है. इसी हिस्से में 200 मीटर की दूरी पर मलबा गिरा है. मलबा करीब 60 मीटर लंबाई में है. यानी मजदूर 260 मीटर दूर फंसे हैं. लेकिन मजदूरों के पास मूव करने के लिए दो किलोमीटर का इलाका है. 50 फीट चौड़ी रोड और दो किलोमीटर लंबाई में वो मूव कर सकते हैं.
उत्तरकाशी में युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. रेस्क्यू टीमें 10 दिन से 41 मजदूरों को सुरक्षित निकालने की पुरजोर कोशिश में जुटी हैं. एजेंसियां अगले 40 घंटे अहम बता रही हैं. रेस्क्यू से जुड़ीं एजेंसियों का अनुमान है कि 30 से 40 घंटे के अंदर सुरंग से सभी मजदूर सुरक्षित बाहर निकाल लिए जाएंगे. इससे पहले मंगलवार को सुरंग से अच्छी खबर आई. सुरंग में फंसे मजदूरों के परिवारों ने अपनों के चेहरे कैमरे के जरिए देखे और उनसे बात की. इस दौरान मजदूरों को भरोसा दिलाया गया कि वे जल्द बाहर निकाल लिए जाएंगे.
32 मीटर तक डाले जा चुके पाइप
सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए ऑगर मशीन अब तक 32 मीटर तक ड्रिल कर चुकी है. इसमें 800 एमएम व्यास के पाइप डाले गए हैं. कुल 60 मीटर तक ड्रिल कर पाइप डाले जाने हैं. रेस्क्यू टीमों ने 40 एंबुलेंस बुलाई हैं. आपातकालीन सेवा 108 को अलर्ट पर रखा गया है. ऑपरेशन के कल तक खत्म होने की संभावना है.
कितना मुश्किल है ऑपरेशन…
सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब तक सरकार थाईलैंड और नॉर्वे के एक्सपर्ट की मदद ले चुकी है. कई इंटरनेशनल टनल एक्सपर्ट भी मजदूरों को निकालने में अपना अनुभव साझा कर रहे हैं. लेकिन अभी भी रेस्क्यू टीम के सामने कई चुनौतियां पहाड़ की तरह खड़ी हैं. राहत कार्य में जुटीं एजेंसियाों का कहना है कि वो मलबा चीरकर मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालकर ही चैन की सांस लेंगी. दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि NHIDCL ने सिल्कयारा छोर से हॉरिजेंटल बोरिंग ऑपरेशन फिर से शुरू कर दिया है जिसमें एक बरमा मशीन शामिल है.
पाइप के जरिए हर घंटे भेजा जा रहा खाना
रसोइया संजीत राणा ने बताया कि डॉक्टर की देखरेख में कम तेल और मसालों के साथ भोजन तैयार किया जा रहा है. ताकि यह आसानी से पच सके. श्रमिकों को रात में खाने के 150 पैकेट भेजे गए. उन्होंने बताया कि दिन में फल भेजे गये थे. मजदूरों को हर एक घंटे में खाना दिया जा रहा है. सुबह फल भेजे गए थे, खिचड़ी, दलिया, साबूदाना, सोयाबीन बोतल में भरकर मजदूरों तक पहुंचाए जा रहे हैं. मजदूरों तक 6 इंच चौड़ी पाइप लाइन पहुंच गई है.
तीन मोर्चे से मजदूरों तक पहुंचने की कोशिश
उत्तरकाशी में 10 दिन से सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए सरकार और एजेंसियां दिन रात एक किए हैं. मजदूरों के रेस्क्यू के लिए तीन तरफ से ड्रिलिंग का प्लान है. सिलक्यारा और बड़कोट यानी सुरंग के दोनों ओर से ड्रिलिंग हो रही है. इसके अलावा वर्टिकल खुदाई भी जारी है.
- सिलक्यारा छोर से मजदूर अंदर गए थे. इस छोर से 2340 मीटर की सुरंग बन चुकी है. इसी हिस्से में 200 मीटर की दूरी पर मलबा गिरा है. मलबा करीब 60 मीटर लंबाई में है. यानी मजदूर 260 मीटर दूर फंसे हैं. लेकिन मजदूरों के पास मूव करने के लिए दो किलोमीटर का इलाका है. 50 फीट चौड़ी रोड और दो किलोमीटर लंबाई में वो मूव कर सकते हैं.
- इसी 60 मीटर मलबे में से 24 मीटर से ज्यादा ड्रिलिंग हो चुकी है. यानी करीब 36 मीटर हिस्सा भेदना है, जहां दिक्कत आ रही है, क्योंकि कुछ चट्टानें भी गिरी हैं. बड़कोट के दूसरे छोर पर 1740 फीट सुरंग बन चुकी है. अब यहां से ड्रिलिंग शुरू हुई है. लेकिन यहां से 480 मीटर तक ड्रिलिंग करनी होगी, तब जाकर मजदूरों तक पहुंच पाएंगे.
- पहाड़ के ऊपर से सीधी खुदाई कर प्लेटफॉर्म बनाने का काम आज पूरा होगा, SJVNL के पास 45 मीटर तक मशीनें पहुंच चुकीं हैं, लेकिन खुदाई 86 मीटर होनी है.
- सुरंग के बड़कोट मुहाने से रेस्क्यू टनल बनाई जा रही है, अगर रेस्क्यू के बाकी प्लान फेल हो गए तो इससे मजदूरों को निकाला जाएगा, ये टनल 8 मीटर से ज्यादा तक बन चुकी है.