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PM मोदी ने वाराणसी से किया नामांकन, ये चार स्थानीय नागरिक बने प्रस्तावक, जानिए क्या होती है इनकी भूमिका?

नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वाराणसी लोकसभा सीट से तीसरी बार अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है. पीएम मोदी के चार स्थानीय नागरिक प्रस्तावक बने. इनमें पंडित गणेश्वर शास्त्री, बैजनाथ पटेल, लालचंद कुशवाहा और संजय सोनकर का नाम शामिल है. जब पीएम मोदी कलेक्टरेट ऑफिस में नामांकन करने पहुंचे तो उनके बगल में शास्त्री को बैठे देखा गया. गणेश्वर शास्त्री ने जनवरी में अयोध्या में भगवान राम लला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए ‘मुहूर्त’ निकाला था.

इसके अलावा, जो तीन अन्य प्रस्तावक थे, उनमें ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय से ताल्लुक रखने वाले बैजनाथ पटेल, लालचंद्र कुशवाहा और दलित समुदा से आने वाले संजय सोनकर भी पीएम मोदी का नामांकन करवाने के लिए कलेक्टरेट पहुंचे. चुनाव आयोग के अनुसार, चुनावी मैदान में उतरे उम्मीदवार का कम से कम एक प्रस्तावक होना चाहिए, जो उस विधानसभा या लोकसभा क्षेत्र का पंजीकृत मतदाता हो और उम्मीदवार के नामांकन का समर्थन करने की घोषणा करता हो. नामांकन पत्र में उम्मीदवार और प्रस्ताक के हस्ताक्षर होना चाहिए.

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम मानी जाती है. चूंकि, प्रस्तावक ही रिटर्निंग ऑफिसर के सामने किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं. नामांकन पत्र में प्रस्तावक किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं. यही वजह है कि उम्मीदवार भले ही किसी दूसरे संसदीय क्षेत्र का रहने वाला हो सकता है, लेकिन प्रस्तावक का संबंधित लोकसभा क्षेत्र का निवासी होना अनिवार्य है. लोक प्रतिनिधित्वत अधिनियम, 1951 की धारा 4(सी), 4(सी सी), 4(सी सी सी) के अनुसार, असम, लक्षद्वीप, सिक्किम को छोड़कर देश में किसी भी सीट से लोक सभा का निर्वाचन लड़ सकते हैं. चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति को मतदाता के रूप में अवश्य पंजीकृत होना चाहिए. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 4(घ) व्यक्ति को चुनाव लड़ने से तब प्रतिबंधित करता है, जब वो देश की किसी भी संसदीय सीट में वोटर्स के रूप में रजिस्टर्ड ना हो. लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 5(ग) में विधानसभा क्षेत्रों के लिए भी यही प्रावधान है.

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