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छत्तीसगढ़ : सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के 5 आरोपियों को फांसी, कोर्ट ने माना रेयरेस्ट ऑफ द रेयर, कहा -“इस सजा के अलावा कोई विकल्प नहीं”

कोरबा: विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा समुदाय की किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म और परिवार के ही 3 सदस्यों की हत्या के मामले में कोरबा के न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने इस मामले को रेयरेस्टक ऑफ द रेयर मानते हुए पांच आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई है. घटना में शामिल एक अन्य आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी गई है. इसकी सुनवाई जनवरी 2021 से चल रही थी. न्यायाधीश ममता भोजवानी के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सोमवार की शाम यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया है.

कोरबा कोर्ट के जज की तल्ख टिप्पणी

 सुनवाई के बाद सजा सुनाने के दौरान न्यायाधीश ममता भोजवानी ने कहा “यह अमानवीय और निर्दयता पूर्वक किया गया कृत्य है. जो वीभत्स और कायरतापूर्ण है. वासना को पूरा करने के लिए निर्दोष और कमजोर व्यक्तियों की हत्या की गई है. जिससे संपूर्ण समाज की सामूहिक चेतना को आघात पहुंचा है. आरोपियों ने एक आदिवासी जनजाति परिवार के 3 सदस्यों की हत्याएं की. जिनमें एक 16 साल की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म शामिल है. इसलिये आजीवन कारावास के सामान्य नियम की अपेक्षाकृत मृत्युदण्ड के अपवाद का चयन करने के अतिरिक्त इस न्यायालय के पास और कोई विकल्प नहीं बचा है.”

आरोपी के घर मवेशी चराने का काम करते थे मृतक

 अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक सुनील सिंह ने बताया कि विकासखंड वनांचल क्षेत्र लेमरू में पहाड़ी कोरवा परिवार सतरेंगा में रहने वाले संतराम मंझवार के घर मवेशी चराने का काम करते थे. संतराम ने परिवार को 8 हजार रुपए मासिक और हर माह 10 किलो चावल देने का वादा किया था. लेकिन संतराम ने जानवरों को चराने के बदले महज 600 रुपए दिया और 10 किलो चावल प्रतिमाह के अनुसार दिया. शेष राशि संतराम ने कोरवा परिवार को नहीं दिया. तब कोरवा परिवार 29 जनवरी को संतराम का घर छोड़कर चले गए.

परिवार के सदस्य सतरेंगा बस स्टैंड में खड़े थे. इसी बीच संतराम बस स्टैंड पहुंचा और कहा कि वह बाइक से अपने साथियों के साथ उन्हें घर तक पहुंचा देगा. कोरवा परिवार में एक 16 साल की लड़की थी और दूसरी 4 साल की बच्ची थी. आरोपी ने पिता और दोनों बेटियों को अपनी मोटर साइकिल में बैठाया और अपने साथ ले गया. जबकि मामले की प्रार्थिया और मृतक की पत्नी को एक अन्य मोटरसाइकिल से रवाना किया गया. परिवार के तीन सदस्यों को लेकर कुछ दूर तक जाने की बाद संतराम ने गढ़उपरोड़ा के जंगल में तीनों को उतार दिया.

यहां अपने पांच अन्य साथियों के साथ मिलकर सुनियोजित तरीके से तीनों की पत्थर से कुचलकर हत्या कर दी. घटना से पहले 16 वर्षीय नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया और उसे पत्थर से कुचलकर मरा हुआ समझकर छोड़कर भाग गए. बाद में इस मामले में पुलिस ने सभी 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया था.


29 जनवरी 2021 की घटना, 4 साल बाद आया फैसला

 अतिरिक्त शासकीय अभिभाषक ने बताया कि विकासखंड वनांचल क्षेत्र लेमरू में एक पहाड़ी कोरवा परिवार के तीन सदस्यों की हत्या 29 जनवरी 2021 को हुई थी. इस मामले में पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया था. मामले की सुनवाई कोरबा के फास्ट ट्रैक कोर्ट में चल रही थी. न्यायाधीश ममता भोजवानी की अदालत ने पुलिस की ओर से आरोपी बनाए गए 6 लोगों को कोरवा परिवार की नाबालिग से सामूहिक दुष्कर्म व उसकी हत्या के अलावा दो अन्य सदस्यों की हत्या का भी दोषी माना है.

कोर्ट ने इस मामले में 5 लोगों को मृत्युदंड की सजा दी है. इसमें संतराम मंझवार(45 वर्ष), अनिल कुमार सारथी(20 वर्ष), परदेशी दास(35 वर्ष), आनंद दास(26 वर्ष) और अब्दुल जब्बार उर्फ विक्की मेमन(21 वर्ष) शामिल हैं. सभी विकासखंड कोरबा अंतर्गत सतरेंगा थाना लेमरू क्षेत्र के रहने वाले हैं. इसके अलावा कोर्ट ने उमाशंकर यादव(22 वर्ष) को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया है.

4 दिन तक तड़पती रही थी किशोरी

 इस केस में सबसे भयावह पहलू यह था कि एक पहाड़ी कोरवा आदिवासी 16 साल की बेटी के साथ न सिर्फ सामूहिक दुष्कर्म किया गया, बल्कि उसे मरा हुआ समझकर जिंदा ही चट्टानों के नीचे दफना दिया गया. 29 जनवरी 2021 को यह घटना हुई और पुलिस को जानकारी तब मिली जब मृतक के पुत्र ने लेमरू थाने में पहुंचकर इसकी जानकारी दी. हालांकि सूचना मिलने के लगभग 4 से 6 घंटों के भीतर ही पुलिस आरोपियों तक पहुंच गई और आरोपियों की निशानदेही पर ही पुलिस घटनास्थल तक पहुंचने में कामयाब हुई. पुलिस जब घटनास्थल पहुंची तब तक किशोरी की सिर्फ सांसें चल रही थी. अस्पताल जाते वक्त रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया था.

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