सहकारी समितियों की हड़ताल ने बढ़ाई सरकार की चिंता, चार सूत्रीय मांग पर अड़े कर्मचारी और कंप्यूटर ऑपरेटर

महासमुंद। छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की उलटी गिनती शुरू हो चुकीहै… लेकिन खरीदी केंद्रों में सन्नाटा पसरा है! राज्य सरकार ने 14 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की घोषणा तो कर दी…मगर ज़मीनी हकीकत ये है कि सहकारी समितियों के कर्मचारी और कंप्यूटर ऑपरेटर अपनी चार सूत्रीय मांगों को लेकर पिछले 9 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर डटे हुए हैं।
इनकी हड़ताल का सीधा असर अब किसानों पर पड़ रहा है। धान खरीदी केंद्रों में व्यवस्थाएँ अधूरी हैं, तो दूसरी ओर किसान अपने खेत-खलिहान से धान तैयार कर चुके हैं, मगर खरीदी केंद्रों में तौल शुरू नहीं हो पा रही।
कहने को तो सरकार का दावा है कि धान खरीदी की तैयारियाँ पूरी हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई ये है कि कंप्यूटर बंद हैं, रजिस्टर खाली हैं, और समितियों में तालाबंदी है! कर्मचारी कह रहे हैं कि “जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, हम काम पर नहीं लौटेंगे।”और किसान कह रहे हैं “अगर खरीदी में देरी हुई, तो सारा परिश्रम व्यर्थ जाएगा।” अब सवाल सिर्फ धान खरीदी का नहीं,सवाल किसान के धैर्य और सरकार की तैयारी का है।




