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पंढरपुर यात्रा में शामिल हो सकते हैं राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे… धार्मिक यात्रा से सियासी शक्ति प्रदर्शन की तैयारी

नई दिल्ली

राहुल गांधी आज महाराष्ट्र की प्रसिद्ध पंढरपुर वार्षिक यात्रा में शामिल हो सकते हैं. खास बात यह है कि इस यात्रा के लिए राहुल गांधी और उद्धव ठाकरे को शरद पवार ने न्योता दिया है. माना जा रहा है कि इस यात्रा के जरिए महाविकास अघाड़ी के नेता ना केवल एकजुटता प्रदर्शित करेंगे बल्कि यह एक सियासी शक्ति प्रदर्शन भी होगा. वहीं राज्य में MVA ये दांव बीजेपी के हिंदुत्व वाले एजेंडे की काट भी बन सकता है.

महाराष्ट्र में इस साल अक्टूबर-नवंबर तक विधानसभा चुनाव हो सकते हैं, ऐसे में MVA नेताओं का जमावड़ा कोई आम बात नहीं है, जाहिर है इसके सियासी मायने भी निकाले जाएंगे.

धार्मिक यात्रा लेकिन असर सियासी?

पंढरपुर यात्रा भले ही धार्मिक हो लेकिन इसका असर सामाजिक तौर पर पूरे महाराष्ट्र में देखने को मिलता है. भगवान विष्णु के अवतार भगवान विट्ठल को समर्पित इस यात्रा की अहमियत इसी बात से समझी जा सकती है कि राहुल गांधी को पंढरपुर यात्रा में शामिल होने का न्योता शरद पवार ने दिया है. इससे पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा दो बार महाराष्ट्र से होकर गुजरी थी, और उन्हें राज्य में अच्छा रिस्पॉन्स मिला था. वहीं इस बार राहुल गांधी राज्य में भक्ति मार्ग पर पैदल चलते नजर आ सकते हैं, हालांकि इसका उन्हें कितना सियासी लाभ मिलेगा यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.

पंढरपुर यात्रा का क्या है महत्व?

पंढरपुर यात्रा का इतिहास करीब 700 से 800 साल पुराना है. आषाढ़ माह की शुक्ल एकादशी के मौके पर यह तीर्थयात्रा निकाली जाती है. इसे वैष्णवजनों का कुंभ भी कहा जाता है. इस यात्रा में हर साल शामिल होने वालों को वारकरी कहा जाता है जो यात्रा में करीब 250 किलोमीटर पैदल चलते हैं. वारकरी हिंदू धर्म की भक्ति आध्यात्मिक परंपरा के भीतर एक संप्रदाय है, जो भौगोलिक रूप से महाराष्ट्र से जुड़ा हुआ है.

आप इस संप्रदाय के महत्व को इस बात से समझ सकते हैं कि बीते रविवार को शिंदे सरकार ने ‘मुख्यमंत्री वारकरी निगम’ की स्थापना का आदेश जारी किया है. राज्य सरकार इसके जरिए हर महीने पारंपरिक वेतन पाने वाले श्रमिकों के लिए बुढ़ापे में पेंशन योजना शुरू करेगी.

वारकरी आंदोलन का इतिहास 17वीं सदी के देहू के संत तुकाराम महाराज से जुड़ा है. हर साल लाखों वारकरी आलंदी और देहू से पंढरपुर के विठोबा मंदिर तक 21 दिन की यात्रा करते हैं, जिसका आषाढ़ी एकादशी के दिन समापन होता है.

विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटा MVA

पंढरपुर तीर्थयात्रा में शामिल होकर MVA गठबंधन महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं के बीच अपनी पैठ और मजबूत करना चाहते हैं. लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी ने राज्य में शानदार प्रदर्शन करते हुए 48 में से 31 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसमें सबसे ज्यादा 13 सीटें जीतकर कांग्रेस ने गठबंधन को मजबूत किया है. वहीं इन नतीजों से महाराष्ट्र कांग्रेस भी उत्साहित है, यही वजह है कि पार्टी ने अपनी आगामी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है. 2019 में कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था, तब कांग्रेस ने 147 और एनसीपी ने 141 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे. लेकिन अब परिस्थितियां थोड़ी अलग हैं. अब इस गठबंधन में उद्धव ठाकरे की शिवसेना है, जिसने 2019 विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन अब उद्धव की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी टूट चुकी है. कांग्रेस के पास मौका होगा कि गठबंधन के साथ सीट बंटवारे में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावा ठोक सके.

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