छत्तीसगढ़

स्कूल, बच्चों के घर के समान यदि यहां सुरक्षित नही तो उठ जायगा का अभिभावकों का भरोसा- न्यायालय

दुर्ग

वर्ष 2016 में नर्सरी कक्षा में पढ़ने वाली चार साल की मामूस के साथ हुए दुष्कर्म के मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि विद्यालय एक ऐसी संस्था है जो बच्चों का दूसरा घर कहलाता है। यदि हमारे बच्चे अपने दूसरे घर में ही सुरक्षित नहीं रहेंगे तो विद्यालय पर किसी भी अभिभावक का विश्वास ही शेष नहीं रहेगा। पीड़िता के साथ- साथ यह संपूर्ण समाज को प्रभावित करता है। वर्तमान में इस प्रकार के अपराधों में तीव्रता से वृद्धि हो रही है तथा समय समय पर इस संबंध में बढ़ते हुए अपराधों की संख्या को देखते हुए दांडिक विधियों में भी संशोधन किए जा रहे हैं।

भिलाई के सेक्टर-6 स्थित एमजीएम स्कूल में नर्सरी कक्षा में पढ़ने वाली चार साल की मासूम बच्ची के साथ हुए दष्कर्म के मामले में सोमवार को अपर सत्र न्यायाधीन डा.ममता भोजवानी की अदालत ने फैसला सुनाया। जिसमें प्रकरण के मुख्य आरोपित स्कूल के स्वीपर केम्प-1 जलेबी चौक निवासी एस सुनील कुमार(28) को न्यायालय ने दुष्कर्म के मामले में जीवन भर जेल में रहने की सजा सुनाई है। नर्सरी सेक्शन की इंचार्ज नेहरू नगर भिलाई निवासी प्रतिभा होलकर(54) को छह माह, स्कूल के करेस्पोन्डेनेट बोरसी निवासी साजन थामस (49) को छह माह और स्कूल के प्राचार्य सेक्टर-9 भिलाई निवासी डेनियल वर्गीस (60) को एक साल कारावास की सजा सुनाई है। घटना 24 फरवरी 2016 की है। प्रकरण के मुताबिक प्रार्थी की चार साल की पुत्री (पीड़िता) एमजीएम स्कूल भिलाई नगर में कक्षा नर्सरी बी की छात्रा थी। पीड़िता ने 24 फरवरी 2016 को स्कूल से आने के बाद उसे एवं उसकी पत्नी को अपने शरीर एवं गुप्तांग में दर्द होना बताया। इस संबंध में पूछे जाने पर पीड़िता ने बताया कि एमजीएम स्कूल के सफाई कर्मचारी एस सुनील द्वारा तीन-चार दिनों से स्कूल के पीछे ले जाकर उसके शरीर को छुता था। 24 फरवरी 2016 को उसने ऐसा ही किया। यह जानकारी मिलने के बाद पीड़िता के पिता-मां व अन्य स्वजन शाम करीब चार बजे एमजीएम स्कूल पहुंचे और प्रबंधन के समक्ष शिकायत दर्ज की। लेकिन प्रबंधन ने शिकायत को अनसुना कर दिया।

चार साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में स्कूल प्रबंधन के रवैये को देखते हुए पालकों का आक्रोश बढ़ने लगा। मामले में धरना प्रदर्शन और पालकों की नाराजगी को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने घटना को संज्ञान में लिया और कार्रवाई में तत्परता दिखाई। इसके बाद पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण सुनवाई के लिए अपर सत्र न्यायाधीश डा.ममता भोजवानी की अदालत में पेश किया।

मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह भी कहा है कि आरोपित एस सुनील द्वारा चार वर्षीय पीड़िता के साथ उक्त जघन्य अपराध किया गया है जो कि अत्यंत गंभीर है एवं सामाजिक एवं मानवीय पहलुओं को दृष्टिगत रखते हुए अत्यंत शर्मनाक होने के साथ -साथ एक ऐसा अपराध है जो पीड़ित पक्ष के मानसिक पटल पर आजीवन बना रहता है। विद्यालय प्रबंधन की भी जिम्मेदारी थी कि अपराध की सूचना प्राप्त होने पर तत्काल एक्शन मोड में आकर अपने विधिक दायित्व का निर्वहन विद्यालय प्रबंधन ने नहीं किया।

निर्णय की प्रति कलेक्टर को भेजने आदेश

न्यायाधीश ने कहा है कि निर्णय की प्रति जिला कलेक्टर को भेजी जाकर विधि अनुसार अपेक्षित कार्यवाही किए जाने की अनुशंसा इस न्यायालय द्वारा की जाती है। ताकि प्रशासन द्वारा समय रहते उचित एवं आवश्यक कदम यथा स्कूल की कार्यप्रणाली में बच्चों की सुरक्षा की व्यापक जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश का पालन करवाया जाना उठाये जाये। जिससे भविष्य में विद्यालयों में इस प्रकार के जघन्य अपराध कारित होने से उन्हें रोका जा सके।

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