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वोटिंग डाटा सार्वजनिक करने की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं को ‘सुप्रीम’ झटका, कोर्ट ने आदेश देने से किया इंकार

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर तुरंत विचार करने से इनकार कर दिया है जिसमें मांग की गई थी कि चुनाव आयोग को वोटर टर्नआउट (मतदान प्रतिशत) की सही संख्या प्रकाशित करने और अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17सी प्रतियां अपलोड करने का निर्देश दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल छठा चरण है. हमारा मानना है कि इस मामले की सुनवाई चुनाव के बाद होनी चाहिए.

दरअसल लोकसभा चुनावों के बीच कई राजनीतिक दलों ने वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं. राजनीतिक पार्टियों का दावा है कि चुनाव वाले दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है और एक हफ्ते बाद कुछ और. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की गई थी. इस याचिका में मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17C की स्कैन्ड कॉपी अपलोड करने का आदेश दे.

चुनाव आयोग ने किया विरोध

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR और तृणमूल नेतृ महुआ मोइत्रा की तरफ से यह याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की और निर्वाचन आयोग के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई के योग्य ही नहीं है. उन्होंने कहा कि ये कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का क्लासिक केस है. देश में चुनाव चल रहे हैं और ये इस तरह बार- बार अर्जी दाखिल कर रहे हैं.

निर्वाचन आयोग के वकील सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने कहा कि इन याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए. ऐसे लोगों का इस तरह का रवैया हमेशा चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशान लगाकर जनहित को नुकसान पहुंचा रहा है. आयोग ने कहा कि महज आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल दी में दिए अपने फैसले में तमाम पहलू स्पष्ट कर दिए थे.

आयोग को बदनाम करना मकसद- चुनाव आयोग

मनिंदर सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार आयोग को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. स्थापित कानून के मुताबिक फॉर्म 17C को ईवीएम वीवीपीएटी के साथ ही स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है. आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है. यह आरोप पूरी तरह से गलत और आधारहीन है. चुनावी प्रक्रिया जारी है और आयोग को लगातार बदनाम किया जा रहा है.

इन दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने के समय यानी टाइमिंग पर सवाल खड़ा किया. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे से पूछा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर क्यों की गई?

(साभार आज तक )

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