सात वर्ष के इंतजार व पत्र व्यवहार के बाद केंद्र के खिलाफ कोर्ट पहुंची राज्य सरकार, राज्य को लेना है 4,140 करोड़ रुपये से अधिक, 23 जनवरी 2020 और 10 मई को सीएम बघेल ने लिखा था पत्र
रायपुर
केंद्र सरकार से अपने हक का पैसा लेने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने कोर्ट से कोयला लेवी का बकाया 4,140 करोड़ रुपये ब्याज सहित दिलाने का आग्रह किया है। यह राशि 2015 से बकाया है। इसके लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, केंद्रीय कोयला खान मंत्री और प्रधानमंत्री को पत्र भी लिख चुके हैं। पीएम के साथ वर्चुअल बैठकों के दौरान भी बघेल की तरफ से इस राशि की मांग की जा चुकी है।इसके बावजूद न केवल कोयला लेवी बल्कि जीएसटी क्षतिपूर्ति और खाद्य सब्सिडी समेत कुछ और मदों की राशि केंद्र सरकार राज्य को नहीं दे रही है। राज्य के महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने नईदुनिया से चर्चा में बताया कि अतिरिक्त लेवी की मांग को लेकर राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। खनिज विभाग के अफसरों के अनुसार कोयला घोटाले के मामले में 2015 में देशभर में कई कोयला खदानों का आवंटन निरस्त किया गया था।इसमें छत्तीसगढ़ के आठ कोयला खदान भी शामिल हैं। अफसरों के अनुसार आवंटन निरस्त किए जाने के पहले ही उन खदानों से उत्पादन शुरू हो गया था। कोयला खनन करने वाली कंपनियों ने अतिरिक्त लेवी के रूप में 295 रुपये प्रति टन की दर से कोयला खान मंत्रालय में जमा किया। यह राशि करीब 4140.21 करोड़ से अधिक है। राज्य सरकार इसी राशि की मांग कर रही है। केंद्रीय कोयला मंत्री को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री बघेल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी उल्लेख किया है। इसमें कोर्ट ने कहा है कि निर्धारित व वसूल की गई अतिरिक्त लेवी अंतत: राज्य सरकार को देय होनी चाहिए। सीएम ने संविधान, खान एवं खनिज अधिनियम 1951, खनिज रियायत नियम 2016 के नियमों और छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य सरकार का स्वामित्व होने और खनिजों पर राज्य शासन के पक्ष में रायल्टी, लेवी और अन्य कर वसूलने का प्रविधान है। इसलिए अतिरिक्त लेवी की राशि राज्य को मिलनी चाहिए।